Israel Iran Tension: ईरान घुटने टेकेगा...? इजरायल ने हमले का बदला लेने के लिए तैयार किया ऐक्शन प्लान
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Israel Iran Tension: ईरान घुटने टेकेगा...? इजरायल ने हमले का बदला लेने के लिए तैयार किया ऐक्शन प्लान

Israel Iran Tension: इजरायल डिफेंस फोर्सेस का कहना है कि उसके पास ईरान के खिलाफ Action के सभी विकल्प खुले हुए हैं. ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था, जिनमें से बड़ी संख्या में मिसाइल और ड्रोन को इजरायल ने सहयोगी देशों की मदद से हवा में ही नष्ट कर दिया.

Israel Iran Tension: ईरान घुटने टेकेगा...? इजरायल ने हमले का बदला लेने के लिए तैयार किया ऐक्शन प्लान

Israel Iran Tension: इजरायल डिफेंस फोर्सेस का कहना है कि उसके पास ईरान के खिलाफ Action के सभी विकल्प खुले हुए हैं. ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था, जिनमें से बड़ी संख्या में मिसाइल और ड्रोन को इजरायल ने सहयोगी देशों की मदद से हवा में ही नष्ट कर दिया. ईरान ने धमकी दी कि अगर इजरायल ने पलटवार किया तो जवाबी हमला पहले से ज्यादा खतरनाक होगा.

ईरान के हमले के बाद इजरायल का बड़ा कदम

ईरान के हमले के बाद इजरायल ने बड़ा कदम उठाया है, कूटनीतिक तौर पर ईरान को इससे परेशानी हो सकती है. इजरायल के विदेश मंत्री ने 32 देशों को पत्र लिखा है. जिसमें ईरान के मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाने और ईरान की सेना की ब्रांच IRGC यानी Islamic Revolutionary Guard Corps को आतंकी संगठन घोषित करने की अपील की है. दरअसल, इजरायल एक ऐसा देश है जो अपने दुश्मन को कभी माफ नहीं करता है. इसलिए जानकारों का मानना है कि ईरान के हमले का बदला इजरायल जरूर लेगा और इसका तरीका कुछ भी हो सकता है. क्योंकि, इजरायल के पास आधा दर्जन से ज्यादा विकल्प हैं.

- इजरायल के पास पहला विकल्प ईरान के मिलिट्री बेस पर अटैक करने का है.
- दूसरा विकल्प ये कि इजरायल, ईरान के ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करे
- तीसरा विकल्प, इजरायल समंदर में पनडुब्बियों से ईरान को नुकसान पहुंचाए
- चौथा विकल्प ये कि इजरायल ईरान पर साइबर हमलों को अंजाम दे
- इसके अलावा इजरायल तीसरे देश में ईरान के प्रतिष्ठानों और अधिकारियों को नुकसान पहुंचाए
- और छठा विकल्प है कि इजरायल ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अटैक कर दे.

बदले के हर विकल्प के साथ जोखिम

बदले के हर विकल्प के साथ जोखिम है, जिसके आकलन के साथ ही इजरायल आगे बढ़ना चाहता है. अगर सबसे पहले Option की बात करें तो इजरायल, ईरान के मिलिट्री बेस पर हमला करता है तो सीधे-सीधे ये युद्ध की शुरूआत होगी. इजरायल पहले से ही हमास के साथ युद्ध में उलझा हुआ है, हालांकि एक साथ कई मोर्चे पर युद्ध लड़ने का अनुभव इजरायल के पास है. लेकिन मौजूदा स्थिति में उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका ईरान पर पलटवार के पक्ष में नहीं है.

इजरायल समंदर के रास्ते ईरान पर Attack कर सकता है

इसके अलावा दुश्मन को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर भी बदला लिया जा सकता है, इजरायल के पास इसका विकल्प ईरान का ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर हैं. जिसपर हमला करके इजरायल अपना बदला पूरा कर सकता है. लेकिन इससे इजरायल पर ईरान के पलटवार का खतरा बराबर बना रहेगा. इजरायल समंदर के रास्ते ईरान पर Attack कर सकता है, इसमें इजरायल के लिए पनडुब्बियां मददगार साबित हो सकती हैं.

- इजरायल के पास जर्मनी की बनी 5 पनडुब्बियां हैं, जो क्रूज मिसाइलें दागने में सक्षम हैं.

- विदेश नीति के तहत इजरायल इन पनडुब्बियों को हिंद महासागर में तैनात कर सकता है

- इस तरह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र से इजरायल अपने हथियारों से ईरान पर हमला कर सकता है

इजरायल के पास ईरान से बदले का एक और Option है, जिसे इजरायल ने पहले भी अपनाया है. इसके तहत इजरायल ईरान से अलग किसी दूसरे देश में अपने दुश्मनों को खत्म कर सकता है. जैसे ईरान लेबनान में हिजबुल्लाह, गाजा में हमास और यमन में हूती विद्रोहियों के जरिये इजरायल को निशाना बनाता रहा है. इजरायल भी इन देशों में ईरान समर्थित संगठनों को निशाना बनाकर हमले करता रहा है. इससे इजरायल एक तरफ अपने दुश्मन ईरान से बदला पूरा कर सकता है, तो दूसरी तरफ उसपर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी नहीं बनेगा.

पश्चिमी देशों ने इजरायल को शांत रहने के लिए कहा

ईरान के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने इजरायल को शांत रहने के लिए कहा है, यही वजह है कि जल्दबाजी में इजरायल की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई, वरना आपको याद होगा कि 7 अक्टूबर के हमले के फौरन बाद प्रधानमंत्री Netanyahu ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था. इसलिए इजरायल ने साइबर अटैक को भी विकल्प के तौर पर रखा है, इजरायल ने पहले भी ईरान पर साइबर अटैक किये हैं. जिसमें ईरान के पेट्रोल स्टेशन्स को निशाना बनाया गया था. CIA के पूर्व निदेशक ने भी आशंका जाहिर की है, कि इजरायल ईरान से बदला लेने के लिए साइबर हमले कर सकता है. इजरायल डिफेंस फोर्सेस के अधिकारी भी मान रहे हैं, कि साइबर हमले ईरान के खिलाफ इजरायल के पास विकल्प हैं.

इजरायल शांत बैठने वाला नहीं

इजरायल एक ऐसा देश है, जो दुश्मन का हमला झेलकर शांत बैठने वाला नहीं है. इजरायल की मौजूदा खामोशी इस बात का इशारा है कि बहुत जल्द कुछ बड़ा हो सकती है. क्या होगा और कैसे होगा जाहिर है, इसकी रणनीति War Cabinet की मीटिंग में बनी होगी. ईरान से बदले के लिए इजरायल ने एक ऐसा विकल्प भी रखा है, जो ईरान को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है और इसमें इजरायल को अमेरिका का साथ भी मिल सकता है. इजरायल, ईरान की Nuclear Facility को टारगेट करके हमला कर सकता है, ईरान ने अपने Nuclear Program पर वर्षों लगाए हैं.

- ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी देश के कई हिस्सों में हैं. इनमें करज, तेहरान, अर्दाकन, इस्फहान और बुशहर शामिल हैं.

- इसके अलावा Fordo और Natanz में ईरान के सबसे बड़े न्यूक्लियर फैसिलिटी हैं, जिनपर इजरायल हमला कर सकता है.

ईरान को न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमले का डर

ईरान को अपने न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमले का डर है, इसी वजह से ईरान ने फिलहाल अपने सभी न्यूक्लियर फैसिलिटी बंद किया हुआ है. क्योंकि, इजरायल के लिए इन्हें टारगेट करना आसान है. ईरान, हमले के बाद ये नहीं कह सकेगा कि इजरायल ने उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम को प्रभावित किया है. क्योंकि आधिकारिक तौर पर ईरान परमाणु हथियार बना ही नहीं रहा है. बल्कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम चोरी छिपे चल रहा है.

ईरान के एटमी प्रोग्राम ने अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा रखी है. ईरान, अमेरिका की आपत्तियों को दरकिनार कर अपना Nuclear Program आगे बढ़ा रहा है. अमेरिका को लगता है कि अगर ईरान ने एटमी ताकत हासिल कर ली, तो अरब देशों के साथ उसके हितों को बड़ा नुकसान होगा. क्योंकि, अमेरिका के अरब देशों और इजरायल के साथ करीबी रिश्ते हैं. और कई देशों में अमेरिका के Military Base भी हैं. अरब देशों को भी ईरान से दिक्कतें हैं. दरअसल

- ईरान शिया बहुल देश है जबकि ज्यादातर अरब देश सुन्नी बहुल हैं.
- अरब देश सुरक्षा और हथियारों के लिए 80 फीसदी तक अमेरिका पर निर्भर हैं.
- अरब देशों को आशंका है, कि ईरान एटमी ताकत हासिल कर लेता है तो उसका इस्तेमाल उनके खिलाफ कर सकता है.
- इसलिए अरब देश अमेरिका के भरोसे हैं. जो ईरान को एटमी ताकत हासिल करने से रोकना चाहते हैं.

ईरान को लेकर मिडिल ईस्ट के देश बंट गए

ईरान को लेकर मिडिल ईस्ट के देश बंट गए हैं. जो ईरान के खिलाफ हैं और इजरायल की मदद को तैयार हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ईरान की परमाणु बम हासिल करने की जिद है, जिससे मिडिल ईस्ट में शक्ति संतुलन बिगड़ने की आशंका है. ऐसे में अगर इजरायल अपना बदला पूरा करने के लिए ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी को टारगेट करता है तो इसमें उसे अमेरिका का साथ मिलने की पूरी पूरी संभावना है. क्योंकि, अमेरिका भी ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकना चाहता है.

ईरान चौतरफा घिरा

इजरायल पर हमला करके ईरान चोतरफा घिर गया है. सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे मुस्लिम देशों ने ईरान से ना सिर्फ दूरी बनाई, बल्कि इजरायल की मदद भी की. और अब अमेरिका ईरान की मुश्किलों में इजाफा करने जा रहा है. अमेरिका, बहुत जल्द ईरान पर कुछ और प्रतिबंध लगा सकता है. साथ ही दूसरे देशों से ईरान पर प्रतिबंध लगाने की अपील कर सकता है. इससे ईरान के लिए मुश्किलें ही खड़ी होंगी.

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